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जगजननी जय! जय / हनुमानप्रसाद पोद्दार
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(ध्वनि आरती)
आरति गजवदन विनायक की।
सुर-मुनि-पूजित गणनायक की॥-टेक॥
एकदन्त शशिभाल गजानन,
विघ्रविनाशक शुभगुण-कानन,
शिवसुत वन्द्यमान-चतुरानन,
दुःख-विनाशक सुखदायक की॥-सुर०॥
ऋञ्द्धि-सिद्धि-स्वामी समर्थ अति,
विमल बुद्धि दाता सुविमल-मति,
अघ-वन-दहन, अमल अबिगत-गति,
विद्या-विनय-विभव-दायक की॥-सुर०॥
पिन्गल नयन, विशाल शुण्डधर,
धूम्रवर्ण शुचि वज्रांकुश-कर,
लबोदर बाधा-विपाि-हर,
सुर-वन्दित सब बिधि लायक की॥-सुर०॥