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शहर में साँप / 19 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
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साँप
बिना केकरो
डँसने भागल जाय रहै
दूसरे ने पूछलकै-किए
बेतहासा भाइग रहलोॅ
वें कहलकै/रास्ता में आदमी मिललै
जहर खोपड़ी में छिपैनेॅ छै।
अनुवाद:
साँप
बिना किसी को
डँसे भाग रहा था
दूसरे ने पूछा- इस तरह क्यों
बेतहासा भागे जा रहे हो?
उसने कहा/रास्ते में आदमी मिला है।
जहर खोपड़ी में छिपाए।
