भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
भुलियल बंदो / लीला मामताणी
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:29, 6 फ़रवरी 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लीला मामताणी |अनुवादक= |संग्रह=सौ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
तर्ज़: जाए तो जाए कहां
बाबा नानक शाह - बेपवाहु तूं हमराह
भवसागर मां पर लॻाइ
कलजुग जो दाता तूं आहीं
नानक वेस में अवतार आहीं
दुखड़ा लाहीं जॻ जा आधार - बाबा नानक शाह
वाह वसीलो ॿियो कीन भायां
आस उमेद तो मां कीन लाहियां
भुलियल बंदनि खे तूं दॻ लाइ - बाबा नानक शाह
ॿेड़ी मुंहिंजी आहे पुराणी
पासनि खां जंहिंजे वहे पियो पाणी
हथड़ा ॾेई ॿेड़ो तूं तार - बाबा नानक शाह
सतगरू तो तां वञा ॿलिहारी
दर्शन मूंखे ॾियो हिकवारी,
शरनि ‘निमाणी’ खे हंज में लिकाइ बाबा नानक शाह