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मोगली अञा मोॻिली / मुकेश तिलोकाणी
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मोगली,
अञा मोॻिली।
उहाई हलति
साॻी खिलि खिलि
बिति बितियो आवाजु़
साॻी चाॻिलाइप।
खिलंदे, खिलंदे
सोचींदे, ॻाल्हिाईंदे
टिपिण ते धक ठा।
वर-वर, हणे पाण खे।
पाण खे रखे खुशि,
सदाईं मस्तु।
अध, सदीअ बैदि बि
मोगली, साॻी मोॻिली।
को बि फ़र्कु न।
अञा ॿाराणी ॿुधी
नंढी सोंच,
फथिको ऐं लोछ।
ॾिसंदे
यादि ॾियारे ॿालपिणु।
उहे ई ॻाल्हियूं
साॻियूं आदतूं
अञा पाण साणु।
मोगली,
अञा मोॻिली।