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ॼमारी लुंडो (बिंदिरो) / मुकेश तिलोकाणी

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हू, वञे ॼमारी लुंडो
पंहिंजियुनि अगूणियुनि
अदाउनि सां हलंदो
गोया को
रईस हुजे
मुल्क जो
पंहिंजा नक़्श पा चिटींदो
कारीअ कीचड़ धरतीअ ते।
आऊं, पुठियां-पुठियां
ॾिसंदो अचां
ॼमारी लुुंडे जी हलति
हुनजे पुठियां
कंधु फेराइण खा पहिरी।
जेकर आऊं
वठां ॿी राह
मतां न मचे मेलो
ॼमारी लुंडे (बिंदरे) सां।