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मेरे जूते / रमेश तैलंग

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अहा! गजब के नये-नये
आए हैं मेरे जूते।

चूँ-चूँ, चर-चर चलने में
आवाज सुनाई देती।
एक लाल बत्ती भी इनमें
जली दिखाई देती।
पापाजी मेले से कल
लाए हैं मेरे जूते।

चूँ-चूँ, चर-चर करते जब मैं
यहाँ-वहाँ चलता हूँ।
मम्मी को रहती है सारी
खबर, कहाँ रहता हूँ।
इसीलिए तो उनके मन
भाए हैं मेरे जूते।

अहा! गजब के नये-नये
आए हैं मेरे जूते।