भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मुझे क्या पता था / योगेंद्र कृष्णा

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:44, 10 मई 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=योगेंद्र कृष्णा |संग्रह=बीत चुके शहर में / योगेंद्र कृ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुझे क्या पता था

किसी की आंख के आंसू में

उसके जीवन का

संपूर्ण सुख तैर सकता है

मुझे क्या पता था

तुम्हारे अनकहे में ही

तुम्हारा सारा कहा शामिल था

हां मुझे नहीं पता था

तुम्हारी मृत्यु में

तुम्हारे जीवन की

संपूर्ण सत्ता

जीवंत थी