भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कहाँ चल जी गुलगुला / प्रकाश मनु
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:38, 16 फ़रवरी 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रकाश मनु |अनुवादक= |संग्रह=बच्च...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
गुलगुला जी, गुलगुला,
कहाँ चला जी गुलगुला?
मैं नानी के घर जाता हूँ,
झटपट-झटपट मैं जाता हूँ।
हटो-हटो जी, छोड़ो रस्ता,
हालत मेरी है खस्ता।
पहुँचूँगा जब नानी के घर,
झट चुम्मी लेंगी माथे पर,
बोलेंगी-आ गुलगुला,
तू है प्यारा पुलपुला!
गुलगुला जी, गुलगुला,
कहाँ चला जी गुलगुला?