वहाँ से / ब्रजेश कृष्ण
(अमेरिका-यात्रा के प्रसंग)
1.
कारण
‘अमेरिका को लोग नापसंद क्यों करते हैं?’
सुनकर मैं चौंका
क्योंकि यह सवाल किया था एक अमेरिकी ने
जो घूम चुका था देश-देशान्तर
और शायद यही था उसकी यात्राओं का अनुभव
मैं बताना चाहता हूँ उसे
कि जिस साल मैं आया था इस पृथ्वी पर
उसी साल घटित हुआ था हिरोशिमा और नागासाकी
तब से ही अगर मैं चलूँ और आऊँ ईराक तक
तो क्या बचता है कहने को बाक़ी?
हाथ का गिलास नीचे रखो और गिनो
बीच की दुर्भाग्यपूर्ण जगहों के नाम
तुम पाओगे कि तुम्हारी उँगलियाँ कम पड़ रही हैं
नहीं लगा पायेगा हिसाब
नयी सदी का तुम्हारा कोई भी कम्प्यूटर
कि मारे गये कुल कितने लोग
इस धरती पर सिर्फ़ तुम्हारी वजह से
मैं कहना चाहता हूँ उससे
कि सोचो, मेरे दोस्त! एक बार तो सोचो
कि आखि़र कब और कहाँ रुकेगा
तुम्हारे खेल का यह सिलसिला।
2.
प्रणय में विस्मृति
आइसक्रीम पार्लर के सामने
मैं देख रहा हूँ चुपचाप
नीम रोशनी में खड़े उस प्रेमी युगल को
देह-धर्म की ऐसी लीला कि उनके लिए
विलुप्त हो चुकी है बाकी दुनियाँ
वे नाग-नागिन की तरह अनुरक्त हैं
और अर्धनारीश्वर होने को आतुर हैं उनकी निरीह देहें
गृह, नक्षत्र, तारक समूह और मैं साक्षी हूँ
धरती के इस अद्भुत दृश्य का
हम मनुष्य हैं
और दुख से भरे हैं हमारे जीवन
प्रणय के क्षणों में ऐसी विस्मृति
अनुकम्पा है ईश्वर की
और यह भी कि
यहाँ
क्राँच-वध का कोई डर नहीं।
3.
काला होना
उन्हीं के पुरखे आये थे यहाँ गुलामों की तरह
उन्हीं ने जगाई थी यहाँ की धरती
और हिलाया था आसमान
चकाचौंध कर देने वाली सारी सम्पन्नता से
आज भी आती है उन्हीं के पसीने की गंध
मगर हाशिये पर खड़े वे
कलपते हैं सूरज की रोशनी के लिए
इस धरती पर कहाँ है उनकी जगह?
कहाँ है उनका बग़ीचा?
पूछता है कोई बार-बार धीमी आवाज़ में
रात के अँधेरे में अक्सर चमकते हैं उनके उजले दाँत
और बहुत दूर तक देखती हैं उनकी आँखें
अक्र आहत करते हैं उन्हें
गोरी त्वचा के भीतर बस रहे काले विचार
बग़ल में खड़े होने की उनकी जायज़ आकांक्षा
लगातार सुलगती है उनके भीतर
इस क्रूर और तकलीफ़देह सच्चाई से कैसे बचोगे तुम
कि तमाम वैधानिक सुरक्षा के बावजूद
गोरों के बीच काला होना
अब भी अपराध है इस दमकते हुए देश में।
4.
लाग वेगस
मीलों तक फैले
आदिम पर्वतों के अछूते सौन्दर्य से
पीठ टिका कर खड़ा है यह शहर
चतुर मायावी ने फैलाया है यहाँ अपना इन्द्रजाल
कि तमाम कसीनों में बैठे हुए लाखों लोग
हँस कर उलीच रहे हैं
जुए में अपनी भारी जेेबें
बेरहमी और बेशर्मी से पैसा फूँकते हुए वे
अन्न्य विलास की खोज में आते हैं यहाँ
सभी कुछ पण्य है इधर
हर दस क़दम पर खड़ा है दलाल
और पीज़ा से भी पहले
सिर्फ बीस मिनट में
उपलब्ध है मनपसंद स्त्री
आँखें चौंधियाती हैं यहाँ की तेज़ रोशनी में
और चकित होता है मन
कसीनो के वैभवपूर्ण शिल्प से
लालच और लालसा का अदम्य मेला है यहाँ हर समय
कैसा शहर है यह?
नहीं
लास वेगस शहर नहीं
महा भँवर है ऐश्वर्य का
जिसमें लगातार डूबते हैं लोग।
उदास लड़की की सिम्फ़नी
कला संग्रहालय के सामने
स्टूल पर बैठी वह हिस्पैनिक लड़की
बजा रही है एक उदास सिम्फ़नी
आज वह क्यों है इतनी उदास
कि पास खड़े श्रोताओं से बेख़बर
भूल रही है अपना आसपास
आँखें मूँदे स्वर-लहरियों के साथ
विचरण करती हुई वह
फ़िलवक़्त जा चुकी है यहाँ से दूर...बहुत दूर
उसकी यह सिम्फ़नी
गूँज रही है इस समय मैक्सिको के उस गाँव में
जहाँ तीन बरस पहले आज ही के दिन
उसके प्रेमी ने चूमा था उसे पहली बार
इस चमकदार देश से लौटना
नामुमकिन है अब उसके लिए
पाँव के पास रखी उल्टी टोपी में आ गिरे हैं
कुछ डॉलर
कुछ सिक्के
यही तो हैं वे बेड़ियाँ
जो बाँध कर रखती हैं उसे
उस गाँव से इतनी दूर
यहाँ इस कला संग्रहालय के सामने।
6.
प्रतिरोध
अमेरिका एक बाज़ार है
सफल, फैलता और लीलता हुआ बाज़ार
और हम नफ़रत करते हैं बाज़ारवाद से
मानवविरोधी हैं अमेरिका की राजनीति
इसकी नीतियाँ दुनियाँ के हित में नहीं हैं
और हम हैं ‘सर्वजन हिताय’ के पक्षधर
इसीलिए हम विरोध करते हैं
यहाँ की राजनीति का
ये सर्वसुलभ वक्तव्य हैं हमारे वक़्त के
मगर क्या करें हम अपनी दोगली इच्छाओं का
कि तमाम नफ़रत, विरोध और प्रतिरोध के बावजूद
हम आज जाना चाहते हैं अमेरिका
हम गाना, बजाना और बिछाना चाहते हैं अमेरिका
चाहे जैसे भी हो आज हम होना चाहते हैं
अमेरिका
सिर्फ़ अमेरिका।