भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दिल लोचे तखत हज़ारे नूँ / बुल्ले शाह

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:38, 6 मार्च 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बुल्ले शाह |अनुवादक= |संग्रह=बुल्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैं क्यों कर जावाँ काअबे नूँ?
दिल लोचे तखत हज़ारे नूँ।

लोकी सज्जदा काअबे नूँ करदे,
साडा सज्जदा यार प्यारे नूँ।
दिल लोचे तखत हज़ारे नूँ।

अउगुण<ref>अवगुण</ref> वेख ना भुल्ल मीआँ राँझा,
याद करीं ऐस कारे नूँ।
दिल लोचे तखत हज़ारे नूँ।

मैं अनतारू तरन ना जाणा,
शरम पई तुध तारे नूँ।
दिल लोचे तखत हज़ारे नूँ।

तेरा सानी कोई नहीं मिलिआ,
ढूँढ़ ल्या जग सारे नूँ।
दिल लोचे तखत हज़ारे नूँ।

बुल्ला सहु दी प्रीत अनोखी,
तारे अउगुणहारे<ref>अवगुणी</ref> नूँ।

मैं क्यों कर जावाँ काअबे नूँ?
दिल लोचे तखत हज़ारे नूँ।

शब्दार्थ
<references/>