मौन, के छह तों?
व्रतीक अथाह अंतरशक्ति, आकि
अशक्तक अर्थहीन आर्तनाद?
कहह –
तों करैत छह चीत्कार, आकि
अत्याचारक शब्दहीन सत्कार!
नः!
तों औखन छह मौन..
सुनह!
जाबति रहतह कंठ निष्प्राण
संधिग्दहि रहतह तोहर पहिचान…
मौन, के छह तों?
व्रतीक अथाह अंतरशक्ति, आकि
अशक्तक अर्थहीन आर्तनाद?
कहह –
तों करैत छह चीत्कार, आकि
अत्याचारक शब्दहीन सत्कार!
नः!
तों औखन छह मौन..
सुनह!
जाबति रहतह कंठ निष्प्राण
संधिग्दहि रहतह तोहर पहिचान…