भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"गाँधीजी" केर धरती पर बहलै / नवल श्री 'पंकज'
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:06, 8 मार्च 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नवल श्री 'पंकज' |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
"गाँधीजी" केर धरतीपर बहलै शोणितक धार कोना
"भगत सिंह" केर अंगनामे जनमल अत्याचार कोना
कतए गेलै "आजाद"क नगरी रूसि "लक्ष्मी" कत' पड़ेली
देव आ विद्वानक नगरीसँ बिला रहल संस्कार कोना
बिसरल-बिलटल छै अपनैती "मालवीय-मौलाना"कें
जाति-पाति आ भेदभावकें पसरल अछि विकार कोना
आब नै जनमै "लाल" किए, की देशक माटि भेलै उस्सर
सगरो लोभी-कपटीक अछि लागल एते पथार कोना
जकर नेत आ नीति सशंकित से नेता बनि बैसल छै
करै ओसूली जनता सभसँ उपटत भ्रष्टाचार कोना
मतकें मान बिना बुझने बेर-बेर मतदान केलहुँ
मतकें मान नै बूझब जा जागत गुम सरकार कोना
छोड़ब नै अधिकार अपन फांड़ बान्हि ली चलू "नवल"
बिनु मँगने नै भीख भेटै भेटत फेर अधिकार कोना