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प्यार और कविता / विनोद शर्मा
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जैसे
देह के माध्यम से
व्यक्त होकर भी
देह से परे होता है प्यार
ठीक वैसे ही
शब्दों के माध्यम से
व्यक्त होकर भी
शब्दों से परे होती है कविता
शायद इसीलिए
शरीर मरता है
प्यार नहीं
ठीक वैसे ही
जैसे मरती है भाषा
कविता नहीं।