भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जिस दिन / विनोद शर्मा
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:08, 15 मार्च 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विनोद शर्मा |अनुवादक= |संग्रह=शब्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
जिस दिन
दुनिया की सारी स्त्रियां
समझ जाएंगी कि स्त्री दासी नहीं
जीवनसंगिनी है पुरुष की
और स्त्रियों के अधिकारों के लिए
उठाएंगी मिलकर आवाज
पुरुषों के खिलाफ
उस दिन
हां उसी दिन
मर जाएगा ईश्वर
उनका,
इस दुनिया का भी।