भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

20 / हीर / वारिस शाह

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:21, 29 मार्च 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सिधा हो रोटियां खा जटा अतां कास नूं एडीयां चाइयां<ref>भौहें क्यों चढ़ाई</ref> नी
घर बाहर वसार खवार<ref>बदनाम</ref> होइयां झोकां प्रेम दीयां जिहना नूं लाइयां नी
जुलफां कालियां कुंडियां नाग काले जोकां हिक ते आन बहाइयां नी
वारस शाह एह जिहनां दा चंद देवर घोल घतिआं सभ भरजाइयां नी

शब्दार्थ
<references/>