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35 / हीर / वारिस शाह

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मुल्लां आखदा चूंडियां<ref>बस्ता</ref> वेखदियां ई गैर शरह तूं कौन हैं दूर हो ओए
एथे लुचयां दी कोई थां नहीं पटे दूर कर हक मजूर हो ओए
अनहलक कहावना किबर<ref>अहंकार</ref> करके ओढ़क मरेंगा वांग मंसूर हो ओए
वारस शाह न हिंग दी बास छिपे भावें रखीए विच काफूर हो ओए

शब्दार्थ
<references/>