भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
71 / हीर / वारिस शाह
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:30, 31 मार्च 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
बाप हम के पुछदा कौन हुंदा एह मुंडड़ा किस सरदार दा ए
हथ लाया पिंड ते दाग पैंदा एह महीं दे नहीं दरकार दा ए
सुघड़ चतर ते अकल दा कोट नढा महीं बहुत सम्भाल के चारदा ए
हिके नाल पयार दे हूंग दे के सोटा सिंग ते मूल ना मारदा ए
माल आपणा जान के सांभ लयावे कोई कम्म ना करे विगार दा ए
वसे नूर अल्लाह दा मुखड़े ते मुंहों रब्ब ही रब्ब चितारदा ए
शब्दार्थ
<references/>