भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

81 / हीर / वारिस शाह

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:33, 31 मार्च 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हीर चाए भता खंड खीर मखन मिएं रांझे दे पास लै जांवदी ए
तेरे वासते जूह मैं भाल थकी रो रो अपना हाल सुनांवदी ए
कैदों ढूंढ़दा खोज नूं फिरे भौंदा वास चूरी दी बेलयों आंवदी ए
वारस शाह मियां वेखो रंग लंगी एह शैतान दी कलहि जगांवदी ए

शब्दार्थ
<references/>