भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
100 / हीर / वारिस शाह
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:38, 31 मार्च 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
माए चाक तराहयां बाबे चाए एस गल उते बहुत खुशी हो नी
रब्ब उसनूं रिज़क है देणहारा कोई उसदे रब्ब ना तुसी हो नी
मझीं होण खराब विच बेलयां दे खेल दस केही बुस बुसी हो नी
वारस शाह औलाद न माल रहसी जिहदा हक खुथा ओह तां हो नी
शब्दार्थ
<references/>