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117 / हीर / वारिस शाह

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पंजां पीरां नूं रांझे ने याद कीता जदों हीर सुनेहुड़ा घलया ए
माउं बाप काजी सभे गिरद होए गिला सारयां दा सिर झलया ए
पंजां पीरां अगे हथ जोड़ खला जीर रोंदयां मूल न ठल्लया ए
बचा कौन मुसीबतां पेश आइयां विचों जी साडा थरथलया ए
मेरी हीर नूं वीर हैरान कीता काजी माउं ते बाप पथलया ए
मदद करो खुदा दा वासता जे मेरा इशक खराब हो चलया ए
बहुत प्यर दिलासड़े नाल पीरां मियां रांझे दा जीउ तसलया ए
तेरी हीर दी मदद ते मियां रांझा मखदूम जहांनियां घलया ए
दो तिन सद<ref>हांक, ऊंची आवाज़</ref> सुना खां वंझली दे साडा गावणे ते जीऊ हलया ए
वारस शाह हुण जट तयार होया लै के बंझली राग विच रलया ए

शब्दार्थ
<references/>