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132 / हीर / वारिस शाह
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कई रोज नूं मुलक मशहूर होसी चोरी यारी जो ऐब कुआरियां नूं
जिनां बाण है नचने कुदने दी रखे कौन रंनां हैं सयारियां नूं
उस पा भुलाउड़ा ठगया ए कम पहुंचया बहुत खुआरियां नूं
जदों चाक उधाल लै जाए नढी तदों झूरसो बाजियां हारियां नूं
वारस शाह मियां जिनां लाइयां नी सोई जाणदे डारियां यारियां नूं
शब्दार्थ
<references/>