भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
136 / हीर / वारिस शाह
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:10, 31 मार्च 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
गल पा के सेलियां<ref>रस्सी</ref> लाह टोपी पाड़ जुलीयां संघ नूं घुटया ने
भन्न दौर कुदके लड़न लतीं रोहड़ विच खुडल<ref>उखल</ref> दे सुटयां ने
झंजोड़ के कुट के तोड़ मोढा लांगड़<ref>लंगोट</ref> पा धड़ा धड़ कुटया ने
वारस शाह दाड़ीपुट फाड़ दिती हथ एह तां बड़ा अखेतरा सुटयो ने
शब्दार्थ
<references/>