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157 / हीर / वारिस शाह
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तुसीं घल देहो तां अहसान होवे नहीं चल मेला असीं आवने हां
गल पलड़ा पा के वीर सभे असी रूठड़ा वीर मनावने हां
असां आयां नूं जे तुसी नाह मोड़ो तदों पयेपक पकावने हां
नाल भाइयां पिंड दे पैंच सारे वारस शाह नूं नाल लै जावने हां
शब्दार्थ
<references/>