भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

186 / हीर / वारिस शाह

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:31, 31 मार्च 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुंडे मास चावल दाल दहीं धगड़ एह माहियां पालियां राहियां नूं
सभा चूहड़े चपड़े रज रहे राखे जेहड़े सी सांभदे वाहियां नूं
कासे चाक चोबर सीरी डंगरां नूं दहीं मुखपा जिउ दिसन बिलाइयां नूं
दाल शोरबा रसा मठा मंडे डूमां ढोलियां कंजरां नाइयां नूं

शब्दार्थ
<references/>