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193 / हीर / वारिस शाह
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जिवें लोक निगाहे ते रतन थमन भड़थू मारदे रंग लांदियां ने
भड़थू मारके फुमनियां घतदियां ने इक आऊंदियां ने इक जांदियां ने
जेहड़ियां सिदकदे नाच नाल औंदियां ने कदम चुम मुराद सभ पांदियां ने
वारस शाह दा चूरमा कुट के ते देह फातया बंड वंडांदियां ने
शब्दार्थ
<references/>