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229 / हीर / वारिस शाह

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कुड़ियां जा वलाया रांझने नूं फिरे दुख ते दरद दा लदया ई
आय घिंन सुनेहड़ा सजनां दा तैनूं हीर प्यारी ने सदया ई
तेरे वासते मापयां घरों कढी असां सैहरा पेईड़ा रदया ई
झब होए फकीर ते पहुंच मैंथे, उथे झंडड़ा कास नूं गड़िया ई

शब्दार्थ
<references/>