भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

234 / हीर / वारिस शाह

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:20, 3 अप्रैल 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दिती हीर लिखाइके एह चिठी पीए रांझे दे हथ लै जा देनी
किते बैठ नवेकले सद मुलां सारी खोलके बात सुना देनी
हथ बन्न के मेरयां सजनां नूं रो रो के सलाम दुआ देनी
मर चुकी आं जान है नक उते इकवार प्यारे दीद<ref>दर्शन</ref> आ देनी
खेड़ा हथ ना लांवदा मंजड़े नूं हथ लाइके गोर विच पा देनी
कख हो रहियां गमां नाल रांझा इक चिनग लजाके ला देनी
मेरा यार है तां मैंथों पहुंच रांझा कन्नीं मिएं दे एतनी पा देनी
मेरी लईं निशानड़ी बाक छल्ला रांझे यार दे हथ फड़ा देनी
वारस शाह मियां उस कमलड़े नूं धुणख<ref>ढंग</ref> जुलफ जजीर दी पा देनी

शब्दार्थ
<references/>