भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

274 / हीर / वारिस शाह

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:34, 3 अप्रैल 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तूं तां जोग लया नाल साहिबी दे खुशी नाल गुमान दे आ लीतो
भले मिलदयां टिले ते आन चढ़यो जोग गल दे नाल तूं पा लीतो
कोई पाए भुलावड़ा ठगयो ई सिर गुरु दे जादडू पा लीतो
वारस शाह तों जोग दा लया झाड़ा हिक अगे तूं जोग नूं ला लीतो

शब्दार्थ
<references/>