Last modified on 5 अप्रैल 2017, at 14:04

420 / हीर / वारिस शाह

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:04, 5 अप्रैल 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

भला आख की आनिए नेक पाके जैदे पलू ते पढ़न नमाज आई
घर बार तेरा असीं कौण कोई जापे लद के घरों जहाज आई
नढे मोहनिए झोटे दोहनिए<ref>दूध दहना</ref> नी अजे तक ना इक थी बाज आई
वारस शाह जवानी दी उमर गुजरी अजे तक ना हिरस थीं बाज आई

शब्दार्थ
<references/>