भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
497 / हीर / वारिस शाह
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:01, 5 अप्रैल 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
लुड़ गई जे मैं रतड़ पाट चली कुड़ियां पिंड दिया अज दीवानियां ने
चोचे<ref>ऊर्जा</ref> लांदियां धीयां पराइयां नूं वेदरद ते अंत वेगानियां ने
मैं वेदोश अते वेखबर ताई रंग रंग दियां लांदियां कानियां<ref>तीर</ref> ने
मसत फिरन उनमाद<ref>मस्ती</ref> दे नाल भरियां चेडो चला चलन मसतानियां ने
शब्दार्थ
<references/>