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नील कुसुम / राजकुमार
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हिरदय सरोबरोॅ में,
खिललोॅ नील कुसुम,
माटी रोॅ गंध लेनें,
अकाशोॅ केॅ समैनें,
चान सुरूज तारा नक्षत्रोॅ केॅ टाँकनें,
गरदा उड़ैनें धूरा फाँकनें,
हवा के संगें-संग,
दुआरी-दुआरी जाय छै,
कहानी कविता गीत सुनाय छै,
सुतलोॅ साँझोॅ केॅ जगाय छै,
अँधड़-अन्हारोॅ सें लड़ी केॅ
अन्हारोॅ केॅ भगाय छै,
पाटै छै मुरझैलोॅ धरती रोॅ छाती केॅ,
बाँटै छै गंध,
काटै समेटै छै फसलोॅ केॅ,
मतुर जबेॅ-जबेॅ सुरता रोॅ बतासें,
अन्तरमनोॅ केॅ झकझोरै छै,
समतैलोॅ सागर केॅ हिलकोरै छै,
ममता फाटै छै,
नील कुसुमोॅ रोॅ याद में।