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चैती / राजकुमार
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कामदेव भेलोॅ छै अनंग होरामा, चैत महीनमाँ
शिव जी रोॅ देलोॅ ई उमंग हो रामा, चैत महीनमाँ
मोंजरैलोॅ अंगिया सें, हुलकै टिकोरबा
चम्पा चमेली बेली, गंध के हिंडोलबा
रति-मती पागल तुरंग हो रामा, चैत महीनमाँ
कुहू-कुहू कूहुक, कोयल कुंहकाबै
सेमल-पलास वन, अगिया लगाबै
महुआ चूबी के तंग-तंग हो रामा, चैत महीनमाँ
बरबा-पिपरबा-गुल्लड़-नीम, रसिया
सरस अशोक-कली, कइनें अड़दसिया
भ्रमर-भ्रमर पीबी भंग हो रामा, चैत महीनमाँ