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अमुआँ मँजरि गल कोयली कुहकि गेल / अंगिका लोकगीत
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♦ रचनाकार: अज्ञात
अमुआँ मँजरि गल कोयली कुहकि गेल, मोरबा बोलै आधी रात हे।
अगला पहर राती पिछला पहर राती, बिचला राती पूता दुअरे धैने<ref>पकड़े हुए</ref> ठाढ़ हे॥1॥
किए तोहें अरे दुलरू चोर चंडाल, किए तोहें जगैलें आधी रात हे।
नहिं हमें आहे मालिन चोर चंडाल, नहिं हमें जगैलिऔ आधी रात हे॥2॥
मलिया जे सूतल बीच फुलबरिया, मालिन सुतल निज घर हे।
बाबा घर आहे मालिन लगन उताहुल, अरगज<ref>अद्भुत</ref> मौरिया गूँथी देहो हे॥3॥
अरगज अरगज सुनिऐ दुलरुआ, अरगज मौरिया कैसन होए हे।
औंठी पौंठी<ref>अगल-बगल में</ref> लिखिहें मलिनिया आलरी झालरी, माझे<ref>बीच में</ref> ठैयाँ लिखिहैं मजूर<ref>मयूर</ref> हे॥4॥
बाटहिं रिझतै बाट बटोहिया, कुइयाँ रिझतै पनभरनी हे।
मँड़बाहिं रीझत सारी सरहोजिया, कोहबर कनिया कुमार हे॥5॥
शब्दार्थ
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