भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अपेक्षाओं की अलमारी / अनुभूति गुप्ता

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:20, 2 मई 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनुभूति गुप्ता |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

खामोशियों से
अनकही
बचकानी बातें
हो जायें,
तनहाइयाँ बतलाती हैं
कि-
शहर
बहुत अकेला है
लोगों के चेहरों पर
मुस्कान नकली है
दिलों मे खुशी
कहाँ टिकती हैं

घर है,
महँगी गाड़ी
फिर भी
उदास है
अपेक्षाओं की अलमारी।