भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
चाँद की दादी / अनुभूति गुप्ता
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:57, 2 मई 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनुभूति गुप्ता |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
ओ चाँद की दादी,
ओ चाँद की दादी,
क्या तुम्हें कोई
लोरी नहीं आती?
ये गुपचुप-गुपचुप
क्या तुम हो गाती?
क्यों हम बच्चों को
लोरी नहीं सुनाती?