भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सही परिप्रेक्ष्य / रंजना जायसवाल

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:37, 5 मई 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना जायसवाल |संग्रह=मछलियाँ दे...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

भूखा आदमी
धर्म स्थानों पर
चुपचाप सुनता है
प्रवचन
धर्म –नैतिकता
स्वर्ग -जन्नत की
बड़ी -बड़ी बातें
जो निकल जाती हैं
उसके सिर के
ऊपर से
उसकी आँखे टिकी होती हैं
‘प्रसाद’ की थाली पर।