भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

लड़का / दुःख पतंग / रंजना जायसवाल

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:44, 12 मई 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना जायसवाल |अनुवादक= |संग्रह=द...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

एक छोटा लड़का
गिलास का छींका उठाए
आसपास के
दफ्तरों में देता है चाय
देखता है हसरत से
कुर्सियों को
कुर्सियों पर बैठे चेहरों को
चमक जाता है एक सपना
उसकी आँखों में अचानक जाने कैसे
कि बैठा है वह भी कुर्सी पर
ले रहा है चाय की चुस्की
चुस्की और कुर्सी
में डूबी लड़के की चेतना में करता है प्रहार
दफ्तर का चपरासी
डाँटता है
डाँट से समझदार होकर लड़का
उठाता है जूठे गिलासों को
छींके में रखते हुए
जाने क्या
बुदबुदाता है।