भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बिदेसिया / कारमेन जगलाल

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:01, 24 मई 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कारमेन जगलाल |अनुवादक= |संग्रह= {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

{{KKRachna |रचनाकार=कारमेन जगलाल |अनुवादक= |संग्रह=

काहे हम आइलीन बिदेस
लोग हमें देशवा में भरमाया
रोटी के कारन कष्ट उठाया
ऐसन बुरा हाल न था देशवा के।

कहो हम आइलीन बिदेशिया
जहाँ सब कोई है अजनबी
यहाँ काई नहीं है अपना
देश छुटा छुटे बाप महतारी

काहे हम आइलीन बिदेशिया
सात समुंदर पार सब के छोड़ छाड़
अब आवे न कोई बिचार
हम हैं यहाँ बस लाचार।