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सौ लोग के बीच में / चित्रा गयादीन
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सौ लोग के बीच में
दुख हमार खून में
चढ़े लगल
आज तोके देख के
ना पहचान सकली
सरम के मारे
चेहरा हाथ में
छुप गइल
सोच खामोशी तक
मद्धिम करी
और भूल जाई
सौ लोग के बीच में
अचक्के फरक मिट गइल
याद हमार झाँझर बन के
लास होई गइल
आज तोके ना पहचान सकी