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माय अंगिका / प्रदीप प्रभात

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केतकी, परास, गुलाब
रातरानी, चंपा, चमेली।
जुही, टिटभाटिनी रंजनीगंधा
सब्भेॅ शोभै छै अंग रोॅ ऐंगना मेॅ।
देखी मने-मन गुनगुनाय छी,
आपनोॅ माय अंगिका के गीत।
अंगिका के नावोॅ पेॅ बैठी केॅ,
पतवार चलाय-छी।
मांटी लोरोॅ सेॅ सानै छी,
अन्हर सेॅ कच्छ कस्सी लड़ै छी।
आरो बोलै-हे भगवान! पार लगाबोॅ
माय अंगिका के नैया।