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एक दूजे बिना / कस्तूरी झा 'कोकिल'

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पत्नी बिना पति केॅ
पति बिना पत्नी केॅ
जीवन अधूरा छै।
जब ताँय साथ चलै छै
तभी ताँय सोना में सुगंध।
संसार में सुख छै।
अमन चैन छै।
धरती पर स्वर्ग छै?
मधुमय दिन रैन छै।
नैं तॅ-
एक दोसरा केॅ
अन्तहीन विरह
दै छै संताप।
जरैतॅे रहै छै
लाल-लाल अंगोरा नाँकी
सूखलॅ लकड़ी नाँकी
सुखलॅ पाकलॅ ठठ्र देह।
छटपटाय केॅ
बिलखाय केॅ
बीते छै दिन।
बीते छै रात।
के बूझै छै
ओकरँ दुःख?
केॅ पूछै छै
बैठी केॅ हाल चाल?
केॅ करतै हल सवाल?
उत्तर दै वाली
दै वाला तॅ...

09/12/15 ग्यारह पैंतालिस दिन