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समर दिया, क्या शक्ति न दोगो? / बलबीर सिंह 'रंग'

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समर दिया, क्या शक्ति न दोगो?
मेरे अजर अमर वरदानी,
कर डाली कैसी नादानी;
मिथ्या अहम् जगाने वाला
ज्ञान दे दिया, भक्ति न दोगे।
समर दिया, क्या शक्ति न दोगो?

पतझड़ को बसंत देना था,
उद्गम को अनंत देना था;
बिन माँगे अनुराग दे दिया
माँगे से अनुरक्ति न दोगे।
समर दिया, क्या शक्ति न दोगो?

कामधेनु थी द्वार तुम्हारे,
दाताओं ने हाथ पसारे;
पर तुमने अपने याचक को
संचय दिया, विरक्ति न दोगे।
समर दिया, क्या शक्ति न दोगो?