Last modified on 4 जुलाई 2017, at 11:04

बच्चों की तरह / रंजना जायसवाल

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:04, 4 जुलाई 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना जायसवाल |अनुवादक= |संग्रह=ज...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हम मिले
जैसे मिलते हैं
दो बच्चे
बातें कीं
दोस्ती की
रूठते-मनाते खुश रहे
हमने कुछ नहीं देखा
सुना
जाना
एक –दूसरे के सिवा
शिशिर की चाँदनी –रात
जैसा था हमारा मन
पर धीरे-धीरे
तुम्हारा मन कुहरे से घिर गया
हम सब कुछ माप -तौल कर करने लगे
अब हम नहीं मिलते
जैसे मिलते हैं बच्चे