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मन की भाषा / रंजना जायसवाल
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तुम मुझे सच लगे थे
अपनी तरह
तुम्हारे रोम-रोम को
पढ़ लेने वाली मैं
नहीं पढ़ पाई
तुम्हारे मन की भाषा