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मुकरी / कँटरेंगनी के फूल / विजेता मुद्‍गलपुरी

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1.

रोज बिछौना पर आबै छै
ठोर तरन्ते गरमाबै छै
तुरते मुँह से निकलल आह
की सखी साजन
नै सखी चाह

2.

सब के भोरे-भोरे जगाबै
बच्चा के संग दौड़ लगाबै
बोली सुनै ठठाबै बौआ
की सखी साजन
नै सखी कौआ

3.

ले के मेम कार में घूमै
माँथ पीठ सहलाबै चूमै
बैठल साथ लगै अलबत्ता
की सखी प्रेमी
नै सखी कुत्ता

4.

रोज समय पर बाट निहारै
ऐतै की नै सगुन उचारै
भेंटै चुमै लगावै छाती
की सखी प्रीतम
नै सखी पाती

5.

रोज लुभौना कपड़ा झाड़ै
ऐतें जैतें रूप निहारै
आँख इसारे बोलबै पास
की सखी आशिक
नै ऐयास

6.

बे मतलब सभ्भे के चाटै
कोय पुचकारै त कोय डाँटै
साजन जेकरा करै दुलार
की सखी कुत्ता
नै सखी सार

7.

जे साजन के बर मन भाबै
नजर बचाय के नजर मिलाबै
कसने नजर रहै घरवाली
की सखी सौतन
नै सखी साली

8.

दुनिया भर के खबर जनाबै
गीत सुनाबै नाच देखाबै
गर्व करै जेकरा पर बीबी
की सखी साजन
नै सखी टीभी

9.

ललका झण्डा छै फहराबै
सरकारी धरती हथियाबै
करबाबै शक्ति के भान
की सखी बहुजन
नै हनुमान

10.

कहियो छै खिड़की से आबै
कहियो बर जंजीर बजाबै
गिरबै अँचरा हाय रे बाबा
की सखी प्रेमी,
नै सखी हाबा