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की जमाना रहै देखते-देखते / विजेता मुद्गलपुरी
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की जमाना रहै देखते-देखते की से की भे गेलै
अब त भगवान से कीमती नौकरी-चाकरी भे गेलै
लोग करतै त की अब सड़क पर उतरना विकट भेल छै
भेंड़िया से भयानक मनुजखोर अब आदमी भे गेलै
लोभ में पैर के लक्ष्मी के सवारी भेले हंस जब
हंस उल्लू से बद्तर भेलै स्याह सन रोशनी भे गेलै
साथ हरदम रहै सुतले-जागते देह के छाँह सन
जब बुड़ा दिन के झौका लगल छाँह भी अजनबी भे गेलै
एक लड़की हिडिम्बा के जैसन रहै रंग से रूप से
दौड़ फैसन के ऐसन न ऐलै कि ऊ उर्वशी भे गेलै