Last modified on 11 जुलाई 2017, at 11:53

खेत मजदूर / विजेता मुद्‍गलपुरी

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:53, 11 जुलाई 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विजेता मुद्‍गलपुरी |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

ई जोड़ी घर से खेत तलक मेहनत के ज्योति जलैने छै
अप्पन छोटा सन दुनिया में छोटा सन स्वर्ग बसैने छै

घरनी के गोदी में बच्चा, छै माथा पर धरने धैला
माटी केबेटी के देखो, केहन छै बस्तर मटमैला

ई जाय रहल छै खेतो पर खाना लेने दू-पहरी के
साजन के हाथ बटैतै ईखेते में खैतै ठहरी के

आपस में दुख-सुख के चर्चा, कुछ चर्चा पास परोसी के
कुछ हँसी-मजा के बात-चीत कुछ चर्चा माल-मवेशी के

पति के काया लोहा जैसन, खुरपी, कुदाल जैसन करिया
ओहने पत्नी भी मजगुत्ता, तन-मन दोनों से मन-बरिया

हरदम्मे खेते पर पहरा, ऐसी बीतै छै सालो भर
गरमी-बरसा-जाड़ा-पाला-आँधी-बिजली या सीत लहर

सादा कुर्त्ता, गंजी-गमछा लपटलो डाँड़ में छै धोती
मेहनत के कारण निकलल छै जाड़ा में भी श्रम के मोती

सादा खाना, सादा जीवन, मेहनत पर सदा भरोसा छै
संतोष बसल छै आँखी में, मन में नै तनिक निराशा छै

श्रम जीवन के उल्लास-हास दम्पत्ति के मुँह में रसलो छै
चलो विजेता देखै ले आनन्द गाँव में बसलो छै