के फोरलक चीलम रे / विजेता मुद्गलपुरी
के फोरलक चीलम रे, केन्ना ई टूटि ऐलै
केकरा हाथ मे भोकन्दर फूटि गेलै
कोढ़िये के दे ऐबन जित्ते हम गाँग में
आगिन थे देबन उनका मैया के माँग में
एकक रुपैया में कल्हे मँगैलिऐ रे
जाँता के बगल में ऐजें रखलिऐ रे
ऐजाँ जब ऐतै सब कोढ़ी फूटाबै ले
फोरि देतै चीलम ई हम नै जानलिऐ रे
भे जैतन लकवा निपुतरे के टाँग में
आगिन धे देबन उनका मैया के माँग में
हमरा भुकैतै ते मुखबाती बारि देबै
हमरा कुढ़ैतै ते पुरखा के गारि देबै
मौगी जे कहतै कि बेटा सुपातर छै
उ मंगजरौनी के माँगे हम जारि देबै
मूड़ी मचोरी के फेक देबन भाँग में
आगिन धे देबन उनका मैया के माँग में
माय-बाप कि कोय जित्ता नै छौ समझाबै ले
छोरि देलकौ टोला में टूअर टौवाबै ले
बोढ़नी से मारबो हम ऐहो निपुतरे तों
सभ्भे जनमल्हो रे हमरे भुकालेबै
धे एबन उनका मरलका के संग में
आगिन धे देबन उनका मैया के माँग में
टुल्ही अ डण्डा में टाटे उजारि देलक
मारैत झँटहरा से नेमों के झारि देलक
मौगी बेलज्जी के लाजे नै लागै छै
गारी दै छिए ते कहै छै गारि देलक
हुक्का के फेक देलक काँटा के झाँग में
आगिन धे देबन उनका मैया के माँग में
देबै सराफ हम हे देवता-पित्तर
चीलम फोरबैइया निपुत्तर-निपुत्तर
जे हमरा हुक्का अ चीलम के दुख देलक
ओकरा बनाय दिहो हमरो से बद्तर
घून लैग जाय दैव ओकरा समाँग में
आगिन धे देबन उनका मैया के माँग में