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तसव्वुर / तुम्हारे लिए, बस / मधुप मोहता
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गर्म साँसें, नर्म से अहसास, ख़ुशबू
बिजलियाँ, बदली, हवा के सर्द झोंके
कुछ तुम, कुछ तुम्हारी याद की पुरवाइयाँ,
थोड़ा मैं ठगा-सा, और ये भीगा हुआ मौसम
फिर महकी हुई सी शाम, फिर चश्मे-नम
छलकती मस, पिघलती बर्फ, ठहरे ग़म,
ठिठुरती चाँदनी, बहका मैं, सिहरती तुम
तुम ज़रा गुमसुम तुम्हारे जिस्म पर शबनम
तसव्वुर है तुम्हारा तुम नहीं मेरे सनम।