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मैं, मैं ही रहूँगी / ज़िन्दगी को मैंने थामा बहुत / पद्मजा शर्मा

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'वो’ तुलना करता रहा है मेरी इससे उससे
'वो’ मुझमें देखना चाहता था माधुरी दीक्षित
पर जब मैं बनने लगती माधुरी दीक्षित
तो 'वो’ मुझमें देखना चाहता था किरण बेदी
और जब मैं बनने लगती किरण बेदी
तो 'वो’ मुझमें देखना चाहता था सुनीता विलियम्स
पर मैं चाहती थी 'वो’ मुझमें 'मुझे’ देखे
'वो’ आज भी तुलना कर रहा है मेरी
इससे-उससे हर किसी से
अपने मालिकाना गुरूर में डूबा हुआ
'वो’ नहीं जानता कि मैं कब की हो चुकी हूँ बाहर
उसकी सोच के दायरों से
तुलनाओं से, आदेशों-निर्देशों से
अब उसका यह जानना निहायत ज़रूरी है कि मैं मैं हूँ
मैं मैं ही हो सकती हूँ और कोई नहीं, कभी नहीं